दलहन की बढ़ती कीमतों को नियंत्रण में रखने के कई उपायों के बावजूद कई महीनों से कुछ दालों का ऊंचा भाव सरकार के लिए चिंता का कारण बनी हुई है.
नाफेड और एनसीसीएफ जैसी सरकारी एजेंसियां किसानों के साथ पांच साल के लिए अनुबंध कर सकती हैं
AAR का मानना है कि साबूत दलहन का छिलका उतारकर और उसका टुकड़ा करने के बाद मिली प्रोसेस्ड दाल साबूत दलहन से अलग होती है
सरकारी अधिकारियों का कहना है कि सरकार के पास करीब 7,20,000 टन मसूर दाल का स्टॉक है, जो कि अधिकतर पीएसएफ (प्राइस स्टेबलाइजेशन फंड) में है.
हर विधानसभा क्षेत्र में भारत ब्रांड के तहत रियायती दरों पर आटा, चावल और दाल को पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराने की योजना बनाई गई है
मांग और सप्लाई के बीच अंतर को पाटने के लिए सरकार दालों के उत्पादन को बढ़ावा देने और किसानों को प्रोत्साहित करने की कोशिश कर रही है
देश में 1.4 अरब उपभोक्ताओं के लिए किफायती कीमत पर खाद्य पदार्थों की उपलब्धता सुनिश्चित करने की जरूरत है: रोहित कुमार सिंह
सरकार 2027 तक दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए कर रही है प्रयास: कृषि मंत्री
सरकार नेफेड, एनसीसीएफ, केंद्रीय भंडार और पांच राज्य सहकारी समितियों के माध्यम से भारत ब्रांड के तहत चना दाल की खुदरा बिक्री कर रही है.
साल का अंतिम मनी सेंट्रल कई मायनों में खास है. आज के मनी सेंट्रल में आपकी थाली से लेकर आपकी बचत, निवेश तक की बात है. आपके घर के आसपास भी हड्डी जोड़ने वाला कोई पहलवान है, ऐसे नीम हकीमों को सरकार प्रमाणित करने जा रही है, कैसे होंगे ये प्रमाणित? आज के Money Central में इन सभी सवालों का जवाब मिलेगा. देखें एपिसोड 480.